इस दौरान पीएम मोदी ने शुभांशु से पूछा- आप अंतरिक्ष में कई प्रयोग कर रहे हैं। क्या कोई ऐसा प्रयोग है, जो आने वाले समय में एग्रीकल्चर या हेल्थ सेक्टर को फायदा पहुंचाएगा? इस पर शुभांशु शुक्ला ने कहा- प्रधानमंत्री जी, मैं बहुत गर्व से कह सकता हूं कि पहली बार भारतीय वैज्ञानिकों ने सात खास प्रयोग डिजाइन किए हैं, जो कि मैं अपने साथ स्टेशन पर लेकर आया हूं और पहला प्रयोग जो मैं करने वाला हूं, जो कि आज ही के दिन में निर्धारित है, वह है स्टेम सेल्स के ऊपर, अंतरिक्ष में आने से क्या होता है कि गुरुत्वाकर्षण क्योंकि नहीं होती है, तो भार खत्म हो जाता है, तो मांसपेशियों की हानि होती है, तो जो मेरा प्रयोग है, वह यह देख रहा है कि क्या कोई सप्लीमेंट देकर हम इस मांसपेशियों की हानि को रोक सकते हैं या फिर देरी कर सकते हैं।
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प्रधानमंत्री मोदी ने आगे कहा- शुभांशु चंद्रयान की सफलता के बाद देश के बच्चों में, युवाओं में विज्ञान को लेकर एक नई रूचि पैदा हुई, अंतरिक्ष को एक्सप्लोर करने का जज्बा बढ़ा। अब आपकी ये ऐतिहासिक यात्रा उस संकल्प को और मजबूती दे रही है। आज बच्चे सिर्फ आसमान नहीं देखते, वो यह सोचते हैं, मैं भी वहां पहुंच सकता हूं। यही सोच, यही भावना हमारे भविष्य के स्पेस मिशंस की असली बुनियाद है। आप भारत की युवा पीढ़ी को क्या मैसेज देंगे? इस पर शुभांशु शुक्ला ने कहा प्रधानमंत्री जी, मैं अगर मैं अपनी युवा पीढ़ी को आज कोई मैसेज देना चाहूंगा, तो पहले यह बताऊंगा कि भारत जिस दिशा में जा रहा है, हमने बहुत बोल्ड और बहुत ऊंचे सपने देखे हैं और उन सपनों को पूरा करने के लिए, हमें आप सबकी जरूरत है, तो उस जरूरत को पूरा करने के लिए, मैं ये कहूंगा कि सक्सेस का कोई एक रास्ता नहीं होता कि आप कभी कोई एक रास्ता लेता है, कोई दूसरा रास्ता लेता है, लेकिन एक चीज जो हर रास्ते में कॉमन होती है, वो ये होती है कि आप कभी कोशिश मत छोड़िए, कोशिश करते रहें, अगर आपने ये मूल मंत्र अपना लिया कि आप किसी भी रास्ते पर हों, कहीं पर भी हों, लेकिन आप कभी हार नहीं मानेंगे, तो सफलता चाहे आज आए या कल आए, पर आएगी जरूर।